Go First Airline: गो फर्स्ट एयरलाइंस ने जर्मनी के ड्यूश बैंक से लिया करोड़ों रुपए का कर्ज, जानिए डिटेल्स
Go First Airline: वाडिया ग्रुप की गो फर्स्ट एयरलाइंस वित्तीय संकट से जूझ रही है. इसी बीच जर्मनी के लेंडर से उठाए गए 1320 करोड़ रुपए के लोन का कनेक्शन सामने आया है. गो फर्स्ट ने वित्तीय वर्ष 2021 और 2022 के दौरान जर्मनी के लेंडर (ड्यूश बैंक) से 300 अरब डॉलर (1320 करोड़ रुपए) का लोन लिया था.
इसी अवधि के दौरान कंपनी ने 190 अरब डॉलर की एफडी बनाई गई. जिसका उपयोग जर्मन लेंडर से गो फर्स्ट के लिए फाइनेंस को सुरक्षित करने के लिए किया गया था.
वाडिया ग्रुप की कंपनी लीला लैंड्स ने कहा कि उसने ड्यूश बैंक से लोन लिया था, लेकिन स्पष्ट किया कि इसका ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज में हिस्सेदारी से कोई संबंध नहीं था. एफडी इसकी जमा की गई कैश अर्निंग से बनाए गए थी.
लीला लैंड्स लिमिटेड मॉरीशस (एलएलएल) ने ड्यूश बैंक को 191 अरब डॉलर की एफडी के माध्यम से गोएयर को एडवांस वित्तीय मदद के लिए अपनी नकदी आय में से सुरक्षा प्रदान की. कॉर्पोरेट उद्देश्यों और निवेशों में उपयोग के लिए DB द्वारा LLL ग्रुप को 300 अरब डॉलर का लोन प्रदान किया गया है. गो फर्स्ट ने कहा कि उसे डॉयचे बैंक इंडिया से 1,320 करोड़ रुपए की फाइनेंस की सुविधा मिली थी, लेकिन लीला लैंड्स द्वारा बनाए गए एफडी के बारे में जानकारी से देने से इनकार कर दिया. हमें ऐसी किसी व्यवस्था की जानकारी नहीं है. हमारा ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज से कोई संबंध नहीं है.
सूत्रों के मुताबिक, लीला लैंड्स ने वित्त वर्ष 2021 और 2022 में डॉयचे बैंक से कर्ज लिया था. ड्यूश बैंक के वाडिया ग्रुप के कुल जोखिम का अनुमान लगाना मुश्किल है क्योंकि ग्रुप की एक से अधिक कंपनियों और विभिन्न न्यायालयों में वित्त सुविधाएं प्रदान की गई हैं. एक बैंकरप्सी कार्यवाही एक कंपनी के प्रमुख उधारदाताओं द्वारा निर्धारित की जाती है. एक बार लेनदारों की कमेटी बनने के बाद ड्यूश बैंक का एक्सपोजर बैंकरप्सी कार्यवाही में उसको प्रभावित कर सकता है.
बता दें कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने बुधवार को दिवालियापन के लिए गो फर्स्ट को स्वीकार कर लिया, जब कंपनी ने स्वेच्छा से निर्णय लेने वाली अथॉरिटी से संपर्क किया कि वह लेनदारों के लिए अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ है. गो फर्स्ट ने अपनी अर्जी में कहा है कि उसने विमान लीजर को 2,600 करोड़ रुपए और वेंडरों को 1,200 करोड़ रुपए के भुगतान में चूक की है. उसने दिवालियापन के लिए याचिका दायर की थी क्योंकि प्रैट और व्हिटनी द्वारा सप्लाई किए गए दोषपूर्ण इंजनों के कारण उसके कई विमान जमींदोज हो गए थे.