इंटरेस्ट रेट बढ़ने से होम लोन की डिमांड घटी, एक साल में छह फीसदी गिरावट

इंटरेस्ट रेट बढ़ने से होम लोन की डिमांड घटी, एक साल में छह फीसदी गिरावट
नई दिल्ली: बढ़ती ब्याज दरें अब उपभोक्ताओं को भी चुभने लगी हैं। इस बात की तस्दीक करते हैं दिसंबर तिमाही के आंकड़े। पिछले साल से तुलना करें तो दिसंबर तिमाही में होम लोन की डिमांड और वितरण में गिरावट आई है। क्रेडिट इन्फर्मेशन कंपनी ट्रांसयूनियन सिबिल के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में होम लोन के वितरण में 6% की गिरावट आई है। वहीं होम लोन से जुड़ी पूछताछ में 1% की कमी दर्ज हुई है। मई 2022 से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपने बेंचमार्क रीपो रेट में 250 बेसिस पॉइंट्स (100 बीपीएस = 1 पर्सेंटेज पॉइंट) का इजाफा कर चुका है। इस भार को बैंकों ने धीरे-धीरे खरीदारों तक पहुंचाया है। इस वक्त न्यूनतम होम लोन रेट 8.5% है, जबकि एक साल पहले यह 6.5% था। रिटेल कर्ज, जिससे कि हाल की तिमाहियों में बैंकों का क्रेडिट बढ़ा है, अब उसे भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि क्रेडिट कार्ड फ्रॉड भी बढ़ रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, खर्च बढ़ने से पर्सनल लोन की डिमांड तो बढ़ी है मगर कर्ज लेने वाले कंस्यूमर ड्यूरेबल लोन और क्रेडिट कार्ड के बकाया का भुगतान समय पर नहीं कर पा रहे हैं। ट्रांस यूनियन सिबिल के एमडी और सीईओ राजेश कुमार बताते हैं, क्रेडिट परफॉर्मेंस अभी मजबूत है। हालांकि वैश्विक हालात का असर पड़ने से यह बहुत जरूरी हो जाता है कि अपने क्रेडिट रिस्क की सावधानी से निगरानी की जाए। खासकर शुरुआत में ही पता लग जाना कि कर्ज की अदायगी समय से हो पा रही है या नहीं या कर्ज अदा करने की क्षमता का सही आकलन।

होम लोन लेने से बच रहे लोग

असल में हाल के महीनों में बढ़ती ब्याज दरों के कारण बड़े होम लोन लेने से लोग बच रहे हैं। ऐसे में बैंक असुरक्षित पर्सनल लोन पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के समय में पर्सनल लोन और कंस्यूमर ड्यूरेबल लोन के मामले में देखा गया है कि पहले छह माह में ही उपभोक्ता किस्त देने में 30 दिन से ज्यादा की देरी कर रहे हैं। यह महामारी से पहले के आंकड़े से भी ज्यादा है।

ऐसे में बैंकों ने भी ऐहतियात बरती है। नए कस्टमर्स को लोन देने की तादाद दिसंबर तिमाही में घटी है, वहीं 730 से ज्यादा क्रेडिट स्कोर वाले कस्टमर्स की तादाद बढ़ी है। हर तरह के लोन की अप्रूवल दर भी घटी है। कर्ज लेने वाले नए कस्टमर्स (न्यू टु क्रेडिट कस्टमर्स) का अप्रूवल रेट दिसंबर तिमाही में घटकर 24% रह गया जबकि एक साल पहले यह 32% तक था। वहीं वित्त वर्ष 2023 में असुरक्षित लोन की तादाद 26% बढ़ी है। आरबीआई का डेटा बताता है कि वित्त वर्ष 2023 के पहले 11 महीनों में बैंकों ने सबसे ज्यादा 4 लाख करोड़ रुपये पर्सनल लोन की ऐवज में दिए। इनमें होम लोन शामिल नहीं थे। इसी दौरान बैंकों ने 1.35 लाख करोड़ रुपये उद्योगों को दिए। रिपोर्ट के मुताबिक, क्रेडिट से जुड़ी सबसे ज्यादा पूछताछ युवा कस्टमर्स (18-30 साल) ने की। दिसंबर तिमाही में ग्रामीण इलाकों से भी मांग में वृद्धि देखी गई है।

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