रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा भारत 2025 तक हासिल करेगा 22 अरब डॉलर के रक्षा उत्पादन कारोबार का टारगेट

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा भारत 2025 तक हासिल करेगा 22 अरब डॉलर के रक्षा उत्पादन कारोबार का टारगेट

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा भारत 2025 तक हासिल करेगा 22 अरब डॉलर के रक्षा उत्पादन कारोबार का टारगेट, गुजरात की राजधानी गांधीनगर में चल रहे डिफेंस एक्सपो- 2022 के तहत ''रक्षा के लिए निवेश'' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने निवेशकों से अपील की कि वे मुद्दों के समाधान के लिए बिना किसी झिझक के उनसे या रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क करें.

रक्षा मंत्री ने निजी क्षेत्र के निवेशकों से अपील की कि वे आगे आएं और भारतीय रक्षा उद्योग में निवेश करें क्योंकि यह इस समय अहम मुकाम पर है. उन्होंने कहा कि बड़े उद्योग ही नहीं, स्टार्ट अप और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) भी अब रक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं और रक्षा क्षेत्र के लिए यह 'स्वर्णिम काल' है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग भविष्य का उभरता क्षेत्र है. उन्होंने कहा, 'सरकार घरेलू रक्षा उत्पादन को साल 2025 तक मौजूदा 12 अरब डॉलर से बढ़ाकर 22 अरब डॉलर के स्तर पर ले जाने की कोशिश कर रही है. हम इस 22 अरब डॉलर के लक्ष्य को भी पीछे छोड़ देंगे. रक्षा क्षेत्र में अवसरों की कमी नहीं है. भारत इस क्षेत्र में दुनिया की मांग पूरी करने के लिए आगे बढ़ रहा है.'

केंद्र ने रक्षा के क्षेत्र में उठाए अहम कदम- राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में स्थानीय उत्पादन के लिए कई कदम उठाए हैं और सुधार किए हैं. उन्होंने कहा कि पहले रक्षा मंत्रालय के दरवाजे निजी क्षेत्र के लिए बंद रहते थे. रक्षा मंत्री और मंत्रालय के अधिकारी निवेशकों से मुलाकात करने से बचते थे क्योंकि वे मानते थे कि कोई उनपर उंगली उठा सकता है. लेकिन हम उसकी चिंता नहीं करते और हमारे दरवाजे आपके निवेशकों केलिए खुले हैं.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि देश की रक्षा और आर्थिक शक्ति एक दूसरे के पूरक हैं और राष्ट्र तब ही अधिक प्रगति करेगा जब वह खतरों से सुरक्षित हो. उन्होंने कहा कि आजादी के इतने सालों के बाद भी भारत इस सोच से आजादी नहीं पा सका कि अगर हम सामाजिक-आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो हमें रक्षा क्षमता पर समझौता करना पड़ेगा, लेकिन अब मुझे खुशी है कि गत सालों में देश उस सोच से बाहर निकल चुका है.

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