अमित शाह ने लॉन्च किया ‘भारतपोल' वांछित अपराधियों की खोज में आएगी तेजी

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अमित शाह ने लॉन्च किया ‘भारतपोल' वांछित अपराधियों की खोज में आएगी तेजी

देश के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को सीबीआई के भारतपोल पोर्टल की लॉन्चिंग की. गृह मंत्रालय ने इंटरपोल की तर्ज पर देश में 'भारतपोल' की शुरुआत की है. साइबर क्राइम, फाइनेंशियल क्राइम, ऑर्गेनाइज्ड क्राइम, ह्यूमन ट्रैफिकिंग, इंटरनेशनल क्राइम के मामलों में भारतपोल पोर्टल के जरिए जांच में तेजी आएगी और और रियल टाइम जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी. यह पोर्टल सीबीआई के अधीन काम करेगा.

लेकिन इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि राज्यों की पुलिस किसी वांटेड क्रिमिनल या भगोड़े के संबंध में इंटेलिजेंस इनपुट के लिए इस पोर्टल की मदद से सीधे इंटरपोल की मदद ले सकेगी. साथ ही विदेशी लॉ एंफोर्समेंट एजेंसियां भी किसी अपराधी के संबंध में जानकारी जुटाने के लिए भारतपोल' की मदद से भारतीय एजेंसियों से आसानी से संपर्क कर सकेंगी. इस तरह 'भारतपोल पोर्टल' इंटरनेशनल पुलिसिंग में काफी मददगार साबित होगा. 

केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह मंगलवार (07 जनवरी) को सीबीआई द्वारा तैयार किये गए ‘भारतपोल’ पोर्टल को लॉंच किया है। सीबीआइ द्वारा तैयार ‘भारतपोल’ पोर्टल सभी राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों के बीच विदेश में बैठे अपराधियों को ढूंढकर लाने की कार्रवाई का रियल टाइम जानकारी साझा सुनिश्चित करेगा।

दरअसल विदेश में रहने वाले वांछित अपराधियों को ढूंढने के लिए इंटरपोल से नोटिस जारी करना होता। भारत में इंटरपोल की इकाई के रूप में सीबीआइ काम करती है। इसीलिए सभी राज्यों, केंद्र प्रदेशों और केंद्रीय एजेंसियों को वांछित अपराधियों को ढूंढने के लिए सीबीआइ के मार्फत इटरपोल तक पहुंचना होता।

पत्रों, ईमेल, फैक्स की झंझट होगी समाप्त 

केंद्र, राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के स्तर पर यह समन्वय इंटरपोल लाइजन आफिसर के माध्यम से किया जाता है, जो अपने-अपने संगठनों में पुलिस अधीक्षकों, पुलिस आयुक्तों और शाखा प्रमुखों से जुड़े होते हैं। वर्तमान में सीबीआई, आइएलओ और यूनिट आफिसर्स के बीच संवाद मुख्य रूप से पत्रों, ईमेल और फैक्स के जरिये होता है। ‘भारतपोल’ पोर्टल अब इन झंझटों से मुक्ति दिला देगा और रियल टाइम पर सारी जानकारी साझा हो सकेगी।

आसानी से मिलेगी अंतरराष्ट्रीय अपराधियों की जानकारी

‘भारतपोल’ पोर्टल के इस्तेमाल से अंतरराष्ट्रीय सहायता के लिए सभी अनुरोधों पर कार्रवाई को सुव्यवस्थित किया सकेगा। इनमें रेड कार्नर और अन्य रंगों के इंटरपोल नोटिस जारी करना शामिल है। अंतर्राष्ट्रीय सहायता तक आसान और तेज पहुंच की सुविधा से अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने में भी मदद मिलेगी। 

क्यों पड़ी इंटरपोल की जरूरत?

दरअसल,  इंटरपोल की जरूरत पहले विश्व युद्ध के बाद महसूस हुई, जब यूरोप में अपराध तेजी से बढ़ने लगे। अपराधी एक देश में अपराध कर दूसरे देश में छिप जाते। ऐसे अपराधियों से मुकाबला करने के लिए 20 देशों ने मिलकर इंटरपोल की स्थापना की।

7 सितंबर 1923 को ऑस्ट्रिया के विएना में इसकी स्थापना हुई थी। हालांकि, उस समय इंटरपोल को इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस कमीशन) कहा जाता था, लेकिन 1956 से इसे इंटरपोल (इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गनाइजेशन) कहा जाने लगा।

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