भारत की अगली ऊर्जा छलांग, सिर्फ बिजली नहीं, भरोसा भी: स्टोरेज बनेगा भारत के ऊर्जा भविष्य की रीढ़
Mumbai: भारत का ऊर्जा संक्रमण अब एक ऐसे निर्णायक दौर में पहुंच चुका है, जहां सवाल केवल कितनी बिजली पैदा की जाए का नहीं, बल्कि यह भी है कि वह बिजली चौबीसों घंटे कितनी भरोसेमंद रहे। नई दिल्ली में आयोजित फिक्की इंडियन पावर एंड एनर्जी स्टोरेज कॉन्फ्रेंस 2025 में नीति-निर्माताओं, उद्योग जगत और वित्तीय संस्थानों ने इसी बदलते यथार्थ पर मंथन किया।
पूर्व एमएनआरई सचिव भूपिंदर सिंह भल्ला ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “भारत 500 जीडब्लू गैर-जीवाश्म क्षमता तक पहुंच सकता है, लेकिन असली कसौटी यह होगी कि इस क्षमता को बिना ग्रिड अस्थिरता और लागत बढ़ाए कैसे एकीकृत किया जाए।” उन्होंने बताया कि 2030 तक पीक डिमांड के लगभग 300 जीडब्लू तक पहुंचने की संभावना है, जिसे संतुलित करने के लिए देश को करीब 230 जीडब्लूएच ऊर्जा भंडारण की आवश्यकता होगी।
तकनीकी दृष्टिकोण से, एनविजन एनर्जी इंडिया के प्रबंध निदेशक आर. पी. वी. प्रसाद ने कहा, “घटती बैटरी कीमतें, तेज़-चार्जिंग इकोसिस्टम और मजबूत नीतियां स्टोरेज को एक सहायक साधन से आगे बढ़ाकर मुख्य ग्रिड संसाधन बना रही हैं।” उन्होंने अल्ट्रा-लो बिडिंग और कमजोर मानकों के प्रति सावधानी बरतने की भी जरूरत बताई।
निवेश और बाजार संरचना पर बोलते हुए, क्रिसिल के आशीष मित्तल ने कहा, “ऊर्जा भंडारण अब पायलट चरण से बाहर निकल चुका है। निवेशकों का भरोसा बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर स्पष्ट और स्थिर नियामक ढांचे जरूरी हैं।”
वित्तीय संस्थानों की भूमिका को रेखांकित करते हुए एसबीआई के अशोक शर्मा ने कहा, “स्टोरेज परियोजनाएं पूंजी-गहन हैं, इसलिए फाइनेंसिंग मॉडल को इनके जोखिम और दीर्घकालिक रिटर्न के अनुरूप विकसित करना होगा।” सम्मेलन का सार यही था कि ऊर्जा भंडारण अब विकल्प नहीं रहा। यह भारत के स्वच्छ, लचीले और सुरक्षित बिजली भविष्य की रीढ़ बन चुका है।

