RSS ने केंद्र सरकार से सख्त कदम उठाने की अपील की, बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार के बीच

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RSS ने केंद्र सरकार से सख्त कदम उठाने की अपील की, बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार के बीच

New Delhi: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से सख्त कदम उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर बातचीत से समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है तो केंद्र को दूसरें पर विचार करना चाहिए। नागपुर में ‘सकल हिंदू समाज’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में आंबेकर ने कहा, “केंद्र को इस मामले पर और अधिक गंभीरता से काम करना चाहिए और ठोस कदम उठाने चाहिए। मुझे उम्मीद है कि यह मुद्दा संवाद के जरिए हल हो सकता है, लेकिन अगर बातचीत विफल हो जाए तो हमें इसके लिए दूसरा समाधान ढूंढना होगा।”

आंबेकर ने कहा कि बांगलादेश में हिंदू समुदाय पर जिस तरह से अत्याचार हो रहे हैं वह इस समय मुगल शासन की याद दिलाते हैं। उन्होंने कहा, “हमारे मंदिर जलाए जा रहे हैं। लूटे जा रहे हैं। महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं। यह सब देखकर हर हिंदू को गुस्सा आना चाहिए। केवल इन घटनाओं की निंदा करना और परेशान होना पर्याप्त नहीं है। हमें सिर्फ गुस्से और दुख से बाहर आकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।”

आरएसएस नेता ने यह भी कहा कि बांगलादेश में हो रही हिंसा का उद्देश्य हिंदू समुदाय को उखाड़ फेंकना है। उन्होंने कहा, “न केवल बांगलादेश, पाकिस्तान और बांगलादेश में भी हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। हम हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार सहन नहीं करेंगे। अगर हमने इस पर कुछ नहीं किया तो हमारी आने वाली पीढ़ियां हमारी चुप्पी पर सवाल उठाएंगी।”

उन्होंने बांगलादेश के अंतरिम नेता मुहम्मद युनुस पर भी निशाना साधते हुए कहा, “जिस देश का नेतृत्व नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कर रहे हैं वहां शांति नहीं हो सकती है। वह अत्याचारों को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं।”

आंबेकर ने यह भी कहा कि कुछ वैश्विक शक्तियों को पहचानने की जरूरत है, जो बांगलादेश में हिंसा फैला रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमें उन शक्तियों को पहचानने और उजागर करने की जरूरत है और उन्हें यह बताने की आवश्यकता है कि वे हमारे देश और अन्य देशों में हिंदुओं के खिलाफ ऐसी घटनाओं को बंद करें।” इससे पहले अक्तूबर महीने में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी बांगलादेशी हिंदुओं पर हो अत्याचार का मुद्दा उठाया था।

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