नहीं चलेगी बॉलीवुड की दादागीरी! राजस्थानी कलाकारों का सड़कों पर उतरना, क्या है माजरा?

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नहीं चलेगी बॉलीवुड की दादागीरी! राजस्थानी कलाकारों का सड़कों पर उतरना, क्या है माजरा?

Jaipur News: राजस्थानी सिनेमा के जाने-माने चेहरे, 'आंटा' फेम अभिनेता राजवीर गुर्जर बस्सी के नेतृत्व में कलाकारों ने सड़कों पर उतरकर एक अनोखा प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने की मांग को लेकर किया गया। 

राजवीर गुर्जर बस्सी ने अपनी बात रखते हुए कहा, "राजस्थान की मातृभाषा राजस्थानी है। इसे संवैधानिक मान्यता नहीं मिलने की पीड़ा हर एक प्रदेशवासी के मन में है। जब तक राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता नहीं मिलती है और राजस्थान में इसे राजभाषा का दर्जा नहीं दिया जाता है, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।"

राजस्थानी: करोड़ों लोगों की भाषा, फिर भी अपने ही घर में बेगानी

राजस्थानी भाषा को लेकर यह मांग कोई नई नहीं है। राजस्थान सहित देश के कई राज्यों और विदेशों में भी राजस्थानी बोली और पढ़ी जाती है। राजस्थानी के शब्दकोष में ढाई लाख शब्द हैं और यह करोड़ों लोगों की भाषा है। नेपाल में राजस्थानी को संवैधानिक दर्जा प्राप्त है, जबकि अमेरिका के हाउस ऑफ कांग्रेस में इसे विदेशी भाषा के रूप में मान्यता मिली हुई है। साहित्य अकादमी, नई दिल्ली ने भी राजस्थानी भाषा को अन्य भाषाओं के समकक्ष मान्यता दे रखी है।

राज्य सरकार ने भी केंद्र सरकार को इस संबंध में कई बार पत्र लिखकर राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने की सिफारिश की है। लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

क्या बॉलीवुड के दबदबे के आगे दब जाएगी राजस्थानी भाषा?

कलाकारों का कहना है कि बॉलीवुड के दबदबे के कारण क्षेत्रीय सिनेमा और भाषाओं को वह सम्मान नहीं मिल पा रहा है जिसके वे हकदार हैं। राजस्थानी सिनेमा के कलाकारों का यह प्रदर्शन इसी मुद्दे को उजागर करता है।

आगे क्या?

राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने की यह मांग अब एक जन आंदोलन का रूप लेती दिख रही है। कलाकारों के इस प्रदर्शन के बाद देखना होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है। क्या राजस्थानी भाषा को आखिरकार उसका हक मिलेगा या फिर यह मांग राजनीतिक गलियारों में ही दम तोड़ देगी?

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