"मध्यप्रदेश में वृद्धजन कल्याण के लिए आधुनिक दृष्टिकोण" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला

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"मध्यप्रदेश में वृद्धजन कल्याण के लिए आधुनिक दृष्टिकोण" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला

संवाददाता- अंकित कुमार

Bhopal: मध्यप्रदेश वरिष्ठ नागरिक नीति का पुनरीक्षण कर इसे वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अधिक प्रासंगिक बनाया जाना चाहिए। विशेषण एवं नीति निर्धारकों ने यह विचार मंगलवार को होटल पलाश भोपाल में वृद्धजन कल्याण के लिए आयोजित कार्यशाला में व्यक्त किये।

मध्यप्रदेश योजना आयोग और सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में "मध्यप्रदेश में वृद्धावस्था के लिए एक आधुनिक दृष्टिकोण" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया हुआ। राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारी, विषय विशेषज्ञ, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि और नीति निर्माताओं ने कार्यशाला में भाग लिया।

मध्यप्रदेश में वृद्धजन आबादी में तेजी से वृद्धि हो रही है। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की संख्या 57.13 लाख थी, जो 2031 तक बढ़कर 11.1% होने का अनुमान है। समाज में बदलते पारिवारिक ढांचे, स्वास्थ्य समस्याओं, डिजिटल प्रौद्योगिकी तक सीमित पहुंच और वित्तीय चुनौतियों ने वृद्धजनों के समक्ष नई समस्याएं प्रस्तुत की हैं। इस कार्यशाला का उद्देश्य वृद्धावस्था को एक नए दृष्टिकोण से परिभाषित करते हुए स्वास्थ्य, सामाजिक समावेश और आर्थिक सुरक्षा को प्राथमिकता देना था।

उप सचिव, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी श्री विकास मिश्रा ने कहा कि वृद्धजनों को वित्तीय और डिजिटल साक्षरता प्रदान करना आवश्यक है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।

सीओओ, हेल्प एज इंडिया, नई दिल्ली श्री प्रतीप चक्रवर्ती ने बताया कि 2024 में वृद्धजनों की आबादी 15 करोड़ है जो 2050 तक बढ़कर 20 करोड़ (कुल जनसंख्या का 20%) हो जाएगी। उन्होंने वृद्धजनों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ई-स्वयं सहायता समूहों डिजिटल जागरूकता और घर आधारित देखभाल जैसे कार्यक्रमों की सिफारिश की।

स्मृति सोनाली पोंक्षे वायंगणकर प्रमुख सचिव, सामाजिक न्याय विभाग ने पुरानी पेंशन योजना, वरिष्ठ नागरिक क्लब, तीर्थाटन योजना, और वरिष्ठ नागरिक हेल्पलाइन (14567) जैसी योजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वृद्धजनों को सक्रिय और सम्मानजनक जीवन प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं, साइबर सुरक्षा जागरूकता, और सामुदायिक भागीदारी को सुदृढ़ करना होगा।। डॉ. सुधा गोयल वरिष्ठ सलाहकार, नीति आयोग ने बताया कि मध्यप्रदेश में 71% वृद्धजन ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और उनमें से 50% से अधिक को गतिशीलता संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने वृद्धजनों की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, प्रशिक्षित कर्मियों की कमी को पूरा करने, और समग्र स्वास्थ्य पैकेज को लागू करने की सिफारिश की। आयुष निदेशालय के डॉ. सदीप तोमर ने आयुष स्वास्थ्य शिविरों और डिजिटल हेल्थ ऐप्स के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की चर्चा की। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन और आपातकालीन सेवाओं की समस्याओं को रेखांकित किया।। डॉ. शीबा जोसेफ प्रोफेसर, सामाजिक कार्य विभाग, भोपाल स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज

ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत वृद्धजनों के लिए जेरोंटोलॉजिकल सोशल वर्क को बढ़ावा देने और सामुदायिक विकास परियोजनाओं में वृद्धजनों की भागीदारी सुनिश्चित करने की सिफारिश की।।

श्री मनोहर बहरानी, ऑल इंडिया सीनियर सिटीजन्स फ़ोरम के प्रतिनिधि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने और दान या सहानुभूति पर निर्भर रहने की बजाय उन्हें अपने अनुभव और कौशल का उपयोग समाज के विकास में योगदान देने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि ई-स्वयं सहायता समूह (E-SHGs) जैसी योजनाओं को अधिक व्यवहारिक और उपयोगी बनाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए अधिक संसाधनों का उपयोग करने और अनुपयोगी वित्तीय निधियों जैसे बीमा और बैंक में पड़ी निधियों को वरिष्ठ नागरिकों की भलाई के लिए पुनः उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री बहरानी ने युवा और वरिष्ठ नागरिकों के बीच सहयोग और ज्ञान साझा करने की भी वकालत की, जिससे दोनों पीढ़ियों को लाभ हो सके।

श्री अमिय शंकर, मध्यप्रदेश राज्य नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार ने कार्यशाला के दौरान मध्यप्रदेश वरिष्ठ नागरिक नीति 1999 के पुनरीक्षण और इसे वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अधिक प्रासंगिक बनाने पर जोर दिया। उन्होंने मध्य वृद्धजन स्वास्थ्य रिकॉर्ड पुस्तिका जैसे उपायों का उल्लेख किया, जो वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए अत्यधिक उपयोगी साबित हो सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि नीति निर्माण में व्यावहारिक और समावेशी दृष्टिकोण अपनाया जाए, जिससे वृद्धजनों को बेहतर जीवन स्तर प्रदान किया जा सके।

कार्यशाला के मुख्य बिंदु:-

स्वास्थ्य: वृद्धजनों के लिए स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करना, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना, और आपातकालीन सेवाओं की पहुंच बढ़ाना।

सामाजिक: वृद्धजनों के लिए सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना और अंतर-पीढ़ी संबंध को बढ़ावा देना।

आर्थिक: डिजिटल और वित्तीय साक्षरता बढ़ाना, और उनकी आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए योजनाएं बनाना।

डिजिटल सशक्तिकरण: डिजिटल तकनीक तक वृद्धजनों की पहुंच बढ़ाना और उन्हें नई तकनीकों के लिए प्रशिक्षित करना।

इस कार्यशाला ने यह स्पष्ट किया कि मध्यप्रदेश में वृद्धजनों की बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए नीतिगत और व्यावहारिक बदलाव आवश्यक हैं। एकीकृत दृष्टिकोण अपनाते हुए स्वास्थ्य, सामाजिक समावेशन, और आर्थिक सुरक्षा पर ध्यान देना होगा। निजी क्षेत्र और गैर-सरकारी संगठनों की भागीदारी से भी इन लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।

मध्यप्रदेश में वृद्धावस्था को नए दृष्टिकोण से परिभाषित करने के लिए यह कार्यशाला एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुई। इससे न केवल वृद्धजनों के जीवन में सुधार होगा, बल्कि यह राज्य के समग्र विकास में भी सहायक होगी।

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